यादे ॥
ये मृत्युलोक है प्यारे
माती के ये पुतले
अमर नहीं हमारे ।
हमसे पीछे बिछुड़े
हम भी बिछुड़ जायेंगे
एक दिन सब
पंचतात्वा में खो जायेगे ।
यादे ना बिसर पायेगी,
अच्छी या बुरी
यही रह जाएगी ।
बिछुड़ने का गम खाया करेगा
दिल मौके बेमौके रुलाया करेगा ।
जो यहाँ आये बिछुड़ते गए
सगे या पाए छो गए यादे ।
यहाँ कोई नहीं रहा अमर
आदमियत ना कभी मरी
ना पायेगी मर ।
रहेगा नाम अमर
औरो के काम आये,
छोड़ना है जहा ,
नाम अमर कर जाए ।
जिया जो दीन-शोषितों के लिए
नेक नर से नारायण हो जायेगा ,
मर कर भी अमर हो जायेगा ..........नन्दलाल भारती................ १७.०६.२०१०
Thursday, June 17, 2010
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