रोटी
रोटी वही गोल मटोल रोटी
आटा पानी के मिलन और
सधे परिश्रमी हाथो से पाती है
चाँद सा आकार ।
रोटी के लिए सहना पड़ता है
धूप- तूफान शोषण और अत्याचार
बहाना पड़ता है पसीना भी
लम्बी प्रक्रिया से हाथ आयी रोटी
जगाती है संघर्ष का जज्बा
और आशा
मिटाती है भूख
जुटाती है सामर्थ्य हाड फोड़कर जीने का ।
रोटी का महत्व वही जानता है
जो रोटी के लिए दिन-रात एक करता है
पेट में भूख छाती में फौलाद
और खुली आँखों में सपना रखता है
खुद भूखा या आधी भूख में चैन लेता है
औलाद का पेट ठूसकर भरता है ।
वो माँ-बहने जानती है
रोटी का संघर्ष
जो कंधे से कन्धा मिलाकर चलती है
खुद भूखी रही है
परिजनोको पूछ-पूछ कर परोसती है
क्योंकि
वे इन्ही में सुखी कल देखती है ।
रोटी क्या है पिज्जा बर्गर
नोट खाने वाले
रोटी से खेलने वाले
जहर उगलने वाले
अथवा
कैप्सूल खाकर सोने वाले
क्या जाने रोटी का मतलब ।
गरीब-मेहनतकश, भूमिहीन ,खेतिहर मजदूर
जानता है जिसके लिए
वह हाफता धरती पसीने से सींचता है ।
चाँद सी गोल रोटी जंग है
ताकत का सामान है
और दिल की धड़कन भी
सच रोटी संभावना है
सच्चे श्रम और पसीने से की गयी
सच्ची आराधना है रोटी ।
नन्दलाल भारती
२३.०४.२०१०
Friday, April 23, 2010
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