Friday, April 23, 2010

कपड़ा

कपड़ा
जीवन का आवरण है कपड़ा
जन्म का उपहार है कपड़ा
आन है मान है
सम्मान है कपड़ा
पात था या आज का सूत
तन की लाज रखता है कपड़ा ।
कहने को तो बस कपड़ा
रूप अनेक रखता है कपड़ा
देश की शान है कपड़ा
धर्म का बखान है कपड़ा।
रंग बदलते
बदल देता विधान है कपड़ा
प्रतिज्ञा
कभी जीत कभी हार है कपड़ा
अक्षर-चित्र है
वक्त की पहचान है कपड़ा
ओढ़ना -बिछौना है
परिधान है कपड़ा
मानव विकास की पहिचान है कपड़ा ।
धर्म-कर्म का निशान है कपड़ा
बच्चे-बूढ़े का अंदाज है कपड़ा
नर-नारी की पहचान है कपड़ा
भूख-प्यास है रोजगार है कपड़ा
सभ्यता संस्कृति परम्परा है कपड़ा।
आचार-विचार का पुष्प है कपड़ा
विरासत
और
कर्म की सुगंध है कपड़ा
जीवन भर साथ निभाता कपड़ा
मरने पर भी साथ जाता कपड़ा
जीवन को अनमोल
उपहार है कपड़ा ।
नन्दलाल भारती
२३-०४-२०१०

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