Tuesday, June 1, 2010

उम्मीद

उम्मीद
उम्मीद पर उम्मीद जीवन रसधार
गैर उम्मीद ,टूटी हिम्मत डूबे मझधार ।
जीवन का दुःख-सुख, ओढ़ना-बिछौना
उम्मीद पर ऊँगली रिश्ता हुआ बौना ।
उम्मीद बोती निराशा में अमृत आशा
जन-जन समझे उम्मीद की परिभाषा ।
उम्मीद के समंदर जीवित है सपने
टूटी उम्मीद ,बिखरी चाहत ,बैर हुए अपने ।
उम्मीद है बाकी पतझड़ में बरसे बसंत
उम्मीद का ना कोई ओर-छोर ना है अंत ।
उम्मीद विश्वास , बन जाते जग के बिगड़े काम
मंदिर, मस्जिद, गिरिजाघर बुद्ध का कहे पैगाम ।
उम्मीद जीवन या दूजा नाम धरे भगवान्
उम्मीद है जीवन की डोर, टूटी हुआ विरान ।
मैंने भी थाम लिया है उम्मीद का दामन
चली तलवार बार-बार नसीब बनी रेगिस्तान ।
काबिलियत का क़त्ल हक़ पर सुलगे सवाल
लूटी नसीब सरेआम खड़ा तान ऊँचा भाल ।
अभिमान दहके फूटा शोला विष सामान
उम्मीद के दामन लिपटा गढ़ गयी पहचान ।
उम्मीद वन्दनीय गाड,खुदा , प्रभु का प्रतिरूप
मान लिया मैंने लाख बोये कोई विष बीज
जमी रहे परते उम्मीद की छंट जाएगी धूप।
नन्दलाल भारती
०१.०६.2010

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