Thursday, June 10, 2010

आराधंना

आराधंना

करवटे बदल-बदल कर रात बिताना
अतंदियो /atandiyo के घमासान को
पानी से शांत करना
रात बितते सूरज का पूरब से चढ़ना
कलेवा के लिए बर्तन टटोलते बच्चे ,
चूल्हा गरम करने के लिए
संघर्षरत मातृशक्ति
काम की तलाश में भटकता जनसमुदाय
ऐसे सुबह की मेरी मनोकामना नहीं
नाही आराधना ही ।
मै चाहता हूँ ऐसी सुबह
रात बितने का शंखनाद करे मुर्गे की बाग़
सुबह का सत्कार
पंछियों की चहचहाट
खुशहाली स्कूल जाते
बच्चो के पदचाप
संगीत काम पर जाते कदमताल
घर -आँगन चौखट पर खुशहाली के गीत
आदमी में अपनेपन की ललक
राष्ट्रधर्म के प्रति अपार आस्था
कल के सुबह की रोशनी के साथ
मन-मन में आजाये मन भर विश्वास
तो मान लूँगा पूरी हो गयी
मनोकामना
सफल हो गयी जीवन की
आराधना
सबह के इन्तजार की ............नन्दलाल भारती --०८-०६-२०१०

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