पड़ताल
एक जनवरी को सैतालिस का हो गया
जानकर अमानुषता को गले नही लगाया
सोची समझी भूल से
पद दौलत की धारा प्रतिकूल हो गयी
ऊंची शैक्षणिक योग्यता
अभिमन्यु की तरह जैसे
चक्रव्यूह में फंसकर प्राण त्याग दिए हो !
कर्म को जीवन का आधार माना
लगा रहा पूजा में
पूजा काम न आयी
योग्यता की तलवार लिए
कर्म की धार चला
पर क्या वहां तो भेद ने छला
घाव पर नून डाल काम लिए
वाह वाही का सेहरा खुद के माथे
बेमतलब बदनाम किये ।
पड़ताल किया तो पाया
श्रेष्ठता की डिग्री थामे
कम पढ़े लिखे बहुत तरक्की कर गए
यहाँ जाति .भेद की नागिन अरमान
निगल गयी
पिछड़े तो पहले से थे ,
अब तो पढ़ लिखकर पिछड़ गए ।
बोये थे सपने सुनहरे ,
सींचे थे पसीने से खूब
फल लगने की जब आयी बेला तो भेद के ओले पड़ गये ।
जीवन की आस फांस बन गयी
पुराने दर्द में साँस उलझ गयी
संघर्ष फरेब का वार तरक्की से दूर ले गया
एक जनवरी सैतालिस के पार हो गया .............. नन्दलाल भारती
२३.०१.२०10
Saturday, January 23, 2010
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