Saturday, January 23, 2010

पड़ताल
एक जनवरी को सैतालिस का हो गया
जानकर अमानुषता को गले नही लगाया
सोची समझी भूल से
पद दौलत की धारा प्रतिकूल हो गयी
ऊंची शैक्षणिक योग्यता
अभिमन्यु की तरह जैसे
चक्रव्यूह में फंसकर प्राण त्याग दिए हो !
कर्म को जीवन का आधार माना
लगा रहा पूजा में
पूजा काम न आयी
योग्यता की तलवार लिए
कर्म की धार चला
पर क्या वहां तो भेद ने छला
घाव पर नून डाल काम लिए
वाह वाही का सेहरा खुद के माथे
बेमतलब बदनाम किये ।
पड़ताल किया तो पाया
श्रेष्ठता की डिग्री थामे
कम पढ़े लिखे बहुत तरक्की कर गए
यहाँ जाति .भेद की नागिन अरमान
निगल गयी
पिछड़े तो पहले से थे ,
अब तो पढ़ लिखकर पिछड़ गए ।
बोये थे सपने सुनहरे ,
सींचे थे पसीने से खूब
फल लगने की जब आयी बेला तो भेद के ओले पड़ गये ।
जीवन की आस फांस बन गयी
पुराने दर्द में साँस उलझ गयी
संघर्ष फरेब का वार तरक्की से दूर ले गया
एक जनवरी सैतालिस के पार हो गया .............. नन्दलाल भारती
२३.०१.२०10

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