आज मुझे लग रहा है
बसंत दस्तक दे चुका है
मेरी चौखट पर
क्योकि
मेरे आंसू
कुसुमित होने लगे है
मन की गहराई से उपजे शब्द
ज़माने को भाने लगे है
अभिमानी लोग भी अब
समय का पुत्र मानने लगे है
सच तो है अर्थ का दंभ
बना देता है शैतान
ज्ञान साधारण और गरीब को बना देता है महान......
यही हो रहा है युगों से
कलमकार जगत में पाया है पहचान
महसूस होने लगा है
क्योंकि
मेरी चौखट पर भी
मान के भान का बसंत ठहरने लगा है ..... नन्दलाल भारती २३-०१-2010
Wednesday, January 20, 2010
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