Sunday, January 24, 2010

पीड़ा(कविता )

Nand Lal Bharati

M.A.(Sociology)

L.L.B.(HONS)

PGD in Human Resource Development

Author

Residence:

Azad Deep -15-M, Veena Ngar

Indore(MP) 452010

Ph-071-05755 Mob-0975081066

Email-nlbharatiauthor@gmail.com

पीड़ा

आज कमजोर भय के दौर से गुजर रहा है

दींन को दीन करने का षण्यंत्र चल रहा है ।

सत्य भी आज तड़पने लगा है

अभिमान खुलेआम डंस रहा है ।

कमजोर भरे जहाँ में आंसू निचोड़ रहा है

सत्ता की रस्साकस्सी का दौर चल रहा है ।

गरीब शोषण ,महंगाई के बोझ से दबा पडा है

कमजोर का हक़ ही तो खुलेआम छीना जा रहा है ।

बेबस लालची आँखों से निहार रहा है

किया कोशिश तो बदनाम किया जा रहा है ।

कमजोर की आन भाती नहीं

बनती तकदीर बिगाड़ दी जाती यही ।

आज कमजोर दहशत में जी रहा
गरीबी के भार भेद का जहर पी रहा ।

कोई है जो,

शोषित कमजोर की पीड़ा समझ सके

समानता के साथ,

तरक्की की राह ,

दो कदम साथ चल सके ।

नन्दलाल भारती






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