यादें
बिछुड़े सब हम भी एक दिन बिछुड़ जायेगे
हाथ कस कर क्यों न पकडे , छुट जायेगे ।
विसर जायेगे पर यांदे न,
जमाने से विसर पायेगी
मीठी या कडवी यही रह जायेगी ।
अपनो के बिछुड़ने की पीड़ा सताया करेगी
दिल को बार-बार रुलाया करेगी ।
जो आये बिछुड़ते गए
सगे या पराये हुए
कुछ यादे अमिट छोड़ तो गये
माँ की तरह
पर सब बिछुड़ते गए ।
दुनिया की रीति है
यादो को सजाये
जीवन पथ पर चलते रहना ,
सपनों को अपना बनाये रहना ।
जान गया है जीव
ना रहेगा कोई अमर
है खुशी बोया सद्कर्म का बीज
चला आदमियत के राह
सच याद रह जायेगी
काल के गाल पर ।
सच तो है
बिछुड़ने का गम कहा सताया
आदमी दूसरो के काम आया ।
मर कर भी अमर हो गया
कोई बुद्ध कोई ईसा कोई
सम्भुख कोई महावीर हो गया ।
ये कहा जीए अपने लिए
हुए अमर जिए औरो के लिए ।
काल के गाल पर छाप रह जाएगी
जमाने से याद ना बिसर पायेगी ।,
आओ चले नेकी की राह
नफ़रत की दीवार को गिराकर
यांदे रहेगी कुसुमित सदा
आदमियत की राह
जीवन सफल बनायेगी ।
नन्दलाल भारती
०२-०२-२०१०
Tuesday, February 2, 2010
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