आदमी के  काम आये 
मुसीबत का मारा आदमी बेचारा
भूखा  प्यासा ललचाई  से ताके ,
करे आत्म मंथन  है आदमी
मुसीबत के दिन हो आदमी के तो
कन्धा लगा दे ।
देख दबा मुसीबत  के  बोझ
भार थामने को हाथ बढ़ाये
आदमी है ,
आदमी की मुसीबत में कामे आये ।
मानता हूँ ,
बेवफाई का घाव खटक है
नेकी में जब हाथ जल जाता है।
ना खींचना हाथ भाई
यही है इंसानियत की कमाई।
मुसीबत मा देना है  साथ
आदमी भले ना माने ,
भगवन रखता है हिसाब ।
नेकी का पुण्य ऐसा
कई -कई जन्म   धन्य हो जाए
आदमी है ,आदमियत का फ़र्ज़ निभाए
मुसीबत में जरुर  काम आये ।
नन्दलाल भारती
०७.०२.२०१०
Saturday, February 6, 2010
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