Wednesday, February 10, 2010

जमी मेल धो डालो

जमी मेल धो डालो

विज्ञानं के युग में लोग है की हठ कर रहे है
सच्चाई को लतिया भेद से मोह क्र रहे है ।
जांचने परखने का भरपूर इंतजाम है
भेद की बुराई विज्ञानं की सच्चाई सब मानते है ।
लोग है की मानते ही नहीं है
जाति-धर्मवाद छुआछूत में जी रहे है ।
रुढिवादिता के कैदी हो गए है
आत्मिक तबाह सम्वेदनाशुन्य हो गये है ।
खुद को श्रेष्ठ महान कह रहे
निचले तबके वाले को दास मान रहे ।
भेदभाव का आदमियत के दुश्मनों ने ,
ऐसा पासा फेंक रखा है
विषमता की मीनार खड़ी कर रखा है ।
वक्त आ गया है ,बुराई के खात्मे का
समता शांति की स्थापना का
अब तो भेद की हर दिवार तोड़ डालो
दिल पर जमी मेल धो डालो
नन्दलाल भारती
१०-०२-२०१०

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